(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
इसरो
ने क्रायोजेनिक इंजन प्रयोग कर GSLV लॉन्च
किया। यह खबर सुनते ही नासा जल भुन गया था। “तू डाल डाल तो मैं पात पात” आज जान लो की यह कहावत नासा और इसरो
के लिए ही लिखी गयी थी। मैं जानता हूं कि आप में से कई लोग नासा और इसरो की तुलना
कृपया से देखना चाहते हैं। तो आज मैं वही करने वाला हूँ। लग से तो नहीं लेकिन बतौर
जानकारी मैं जुटा पाया हूँ कोशिश करूँगा की सब उतार दूँ। इसरो और नासा की तकनीक, शोध, मिशन, बजट, उपलब्धियां आदि जानेंगे ही पहले पृष्ठभूमि देख
लेते हैं।
ने क्रायोजेनिक इंजन प्रयोग कर GSLV लॉन्च
किया। यह खबर सुनते ही नासा जल भुन गया था। “तू डाल डाल तो मैं पात पात” आज जान लो की यह कहावत नासा और इसरो
के लिए ही लिखी गयी थी। मैं जानता हूं कि आप में से कई लोग नासा और इसरो की तुलना
कृपया से देखना चाहते हैं। तो आज मैं वही करने वाला हूँ। लग से तो नहीं लेकिन बतौर
जानकारी मैं जुटा पाया हूँ कोशिश करूँगा की सब उतार दूँ। इसरो और नासा की तकनीक, शोध, मिशन, बजट, उपलब्धियां आदि जानेंगे ही पहले पृष्ठभूमि देख
लेते हैं।
नासा
इसरो से अधिक सफल कैसे है?
इसरो से अधिक सफल कैसे है?
इसरो
नासा के बनने के 11 साल बना था। गौर करने वाली बात यह है
की इसरो पाकिस्तान के अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी के बनने के तक़रीबन छह साल बाद
स्थापित हुआ था। फिर भी आज के तारीख की बात करूँ तो जल्द ही इसरो नासा को पीछे
छोड़ दे यह ताज़ुब की बात नहीं। नासा का कारोबार चार्ल्स बोल्डन
और इसरो डॉ के. सिवन के कंधो पर है। नासा में लगभग 17336 लोग काम करते हैं जो सिर्फ अमरीका के
नहीं बल्कि अलग अलग देशों से होते हैं वहीँ इसरो में 16072 लोग काम करते हैं जो सभी मूल रूप से
भारतीय हैं।
नासा के बनने के 11 साल बना था। गौर करने वाली बात यह है
की इसरो पाकिस्तान के अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी के बनने के तक़रीबन छह साल बाद
स्थापित हुआ था। फिर भी आज के तारीख की बात करूँ तो जल्द ही इसरो नासा को पीछे
छोड़ दे यह ताज़ुब की बात नहीं। नासा का कारोबार चार्ल्स बोल्डन
और इसरो डॉ के. सिवन के कंधो पर है। नासा में लगभग 17336 लोग काम करते हैं जो सिर्फ अमरीका के
नहीं बल्कि अलग अलग देशों से होते हैं वहीँ इसरो में 16072 लोग काम करते हैं जो सभी मूल रूप से
भारतीय हैं।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
नासा
के ज्यादातर प्रोजेक्ट अंतरिक्ष के दूर दूर के योजनाओं के खोज पर होते हैं तो वही
इसरो का केंद्र बिंदु नजरदीकी योजनाओं पर शोध और देश का तकनीकी रूप से विकास है।
दूरसंचार, सूचना और भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट
सिस्टम (IRNSS) मुख्य उदाहरण बन सकते हैं। नासा का सालाना बजट $ 20.7 B है और इसके विपरीत इसरो $ 1.6B बहुत की कम बजट में काम करता है। बजट
को बनाए रखने की तुलना की जाए तो यकीनन इसरो नासा से बेहतर साबित होगा।
के ज्यादातर प्रोजेक्ट अंतरिक्ष के दूर दूर के योजनाओं के खोज पर होते हैं तो वही
इसरो का केंद्र बिंदु नजरदीकी योजनाओं पर शोध और देश का तकनीकी रूप से विकास है।
दूरसंचार, सूचना और भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट
सिस्टम (IRNSS) मुख्य उदाहरण बन सकते हैं। नासा का सालाना बजट $ 20.7 B है और इसके विपरीत इसरो $ 1.6B बहुत की कम बजट में काम करता है। बजट
को बनाए रखने की तुलना की जाए तो यकीनन इसरो नासा से बेहतर साबित होगा।
इसरो
के बड़े बड़े और दूरदर्शी प्रोजेक्ट करने में मशहूर है तो इसरो कम बजट में सफल
प्रोजेक्ट करने के लिए नाम बनाया गया है यही कारण है कि आज इसरो दुनिया भर के लिए
मिस ज़ोंबी बन चुकी है। नासा लगभग सभी बड़े रिसर्च आर्गेनाईजेशन से इंस्ट्रूमेंट और अन्य
सहायता के बारे में काम करता है तो इसरो लगभग सभी सब कुछ खुद ही बनाता है।
के बड़े बड़े और दूरदर्शी प्रोजेक्ट करने में मशहूर है तो इसरो कम बजट में सफल
प्रोजेक्ट करने के लिए नाम बनाया गया है यही कारण है कि आज इसरो दुनिया भर के लिए
मिस ज़ोंबी बन चुकी है। नासा लगभग सभी बड़े रिसर्च आर्गेनाईजेशन से इंस्ट्रूमेंट और अन्य
सहायता के बारे में काम करता है तो इसरो लगभग सभी सब कुछ खुद ही बनाता है।
नीचे
लिखे दोनों के अब तक के सबसे ज्यादा सफल मिशन हैं
लिखे दोनों के अब तक के सबसे ज्यादा सफल मिशन हैं
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
इसरो
और नासा की उपलब्धि की तुलना करते ही सबसे पहले हमारे ज़हान चंद्रमा की देर और
अपोलो मिशन के बारे में आते हैं। लेकिन आपको यह ज़रूर जानना चाहिए कि उस समय की
राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों को अलग-अलग चाँदनी सोवियत संघ और नासा के बीच
दौड़ का एक हिस्सा था बजाय विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अपने योगदान देना। और यह
बात नासा सहित सभी देश जानते हैं।
और नासा की उपलब्धि की तुलना करते ही सबसे पहले हमारे ज़हान चंद्रमा की देर और
अपोलो मिशन के बारे में आते हैं। लेकिन आपको यह ज़रूर जानना चाहिए कि उस समय की
राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों को अलग-अलग चाँदनी सोवियत संघ और नासा के बीच
दौड़ का एक हिस्सा था बजाय विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अपने योगदान देना। और यह
बात नासा सहित सभी देश जानते हैं।
और
जब तकनीकी तुलना की बात की जाए तो तब क्रेयोजेनिक तकनीकी की कहानी बताना जरूरी हो
जाता है। नासा और अन्य विकसित देश ने 1980 के दशक के में इसरो को क्रायोजेनिक तकनीक सौंपने से इनकार कर दिया
था और यह बात इसरो को इस कदर चुभी की कुछ ही सालों में इसरो ने इसी तरह क्रायोजेनिक
इंजन प्रयोग कर जीएसएलवी को पूरा किया। यह खबर सुनते ही नासा जल भुन गया था।
जब तकनीकी तुलना की बात की जाए तो तब क्रेयोजेनिक तकनीकी की कहानी बताना जरूरी हो
जाता है। नासा और अन्य विकसित देश ने 1980 के दशक के में इसरो को क्रायोजेनिक तकनीक सौंपने से इनकार कर दिया
था और यह बात इसरो को इस कदर चुभी की कुछ ही सालों में इसरो ने इसी तरह क्रायोजेनिक
इंजन प्रयोग कर जीएसएलवी को पूरा किया। यह खबर सुनते ही नासा जल भुन गया था।
और
अब स्थिति यह है की नासा खुद ही कई बार इसरो के साथ मिल बड़े प्रोजेक्ट्स को अंजाम
देना चाहती है। आने वाले वर्षों में इसरो और नासा निसार (उपग्रह) नासा-इसरो
सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) परियोजना को अंजाम देंगे।
अब स्थिति यह है की नासा खुद ही कई बार इसरो के साथ मिल बड़े प्रोजेक्ट्स को अंजाम
देना चाहती है। आने वाले वर्षों में इसरो और नासा निसार (उपग्रह) नासा-इसरो
सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) परियोजना को अंजाम देंगे।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
अंतिम शब्द
इसरो
और नासा दोनों ही अंतरिक्ष एजेंसियों की मानव जाति को नई ऊंचाई पर ले जाने में हर
भूमिका निभा रहे हैं। कहीं न कहीं नासा सभी स्पेस रिसर्च एजेंसियों के लिए रोल
मॉडल भी है और इससे किसी को इंकार नहीं हो सकती। इसरो और नासा की सामाजिक-आर्थिक
पृष्ठभूमि में लंबी विविधता है और यही विविधता दोनों के मिशन और योजनाओं में बड़ा
असर छोड़ते हैं।
और नासा दोनों ही अंतरिक्ष एजेंसियों की मानव जाति को नई ऊंचाई पर ले जाने में हर
भूमिका निभा रहे हैं। कहीं न कहीं नासा सभी स्पेस रिसर्च एजेंसियों के लिए रोल
मॉडल भी है और इससे किसी को इंकार नहीं हो सकती। इसरो और नासा की सामाजिक-आर्थिक
पृष्ठभूमि में लंबी विविधता है और यही विविधता दोनों के मिशन और योजनाओं में बड़ा
असर छोड़ते हैं।
आशा करता हूँ आपको यह रोचक जानकारी अच्छी लगी होगी. इसे
सोशल मीडिया पर अवश्य शेयर करें तथा हमें इस जानकारी को और बेहतर बनाने का सुझाव
कमेंट में दे. शुरू से अन्त तक इस आर्टिकल को पढने के लिए तहे दिल से शुक्रिया
सोशल मीडिया पर अवश्य शेयर करें तथा हमें इस जानकारी को और बेहतर बनाने का सुझाव
कमेंट में दे. शुरू से अन्त तक इस आर्टिकल को पढने के लिए तहे दिल से शुक्रिया
Thanks to Reading This Post
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});