हम सभी लोग जानते है की भारत की संस्कृति और यहाँ की परम्परा कितनी मजबूत है जिसको ब्रिटिश द्वारा कई बार तोड़ने की कोशिश की गई मगर वे हमेशा इसमें असफल ही होते रहे। परन्तु इसके बावजूद उन्होंने भी अपनी हिम्मत नहीं खोई और लगातार प्रयास करते रहे।
ब्रिटिश द्वारा पहले हिन्दू-मुस्लिम एकता को तोड़ने की कोशिश की गई परन्तु वे उसमे नाकामयाब हुए तो हम भारतीयों को क्षेत्रीय आधार पर तोड़ने की कोशिश की गई और उसमे वे कुछ हद तक कामयाब भी हुए मगर बाद में समझ आजाने के बाद हमने हमारी एकता को और मजबूत कर लिए। जिसके बाद उनकी कभी हिम्मत नहीं हुई भारत की एकता को तोड़ने की हालाँकि कोशिश खूब की गई। इसके बाद उन्होंने फुट डालो राज करो की नीति अपनाई।
वही भारत की सौंदर्यता और संस्कृति को देखते हुए अंग्रेजो ने कई बार देश की राजधानी को बदलने का काम किया है जिसमे उन्हेंने दिल्ली, कोलकत्ता, इलाहबाद, शिमला आदि कई राज्यों को बनाया परन्तु क्या आप जानते है की उन्होंने इसमें से किस राज्य को एक दिन की राजधानी बनाये अगर नहीं तो बस आपको हमारा ये ब्लॉग निचे तक पढ़ना है जिसमे आपको में बताऊंगा की कब और क्यों, कैसे सिर्फ एक दिन की राजधानी बनाया गया था।
कौनसा शहर भारत के इतिहास में एक दिन की राजधानी बनी?

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हम भारतीयों के मन में बहुत से सावल है मगर इनमे से हम अधिकतर का जवाब नहीं जानते है। हाँ मगर कोशिश करे तो हमारे पास सभी सवालों के जवाब मौजूद है तो क्या अभी तक आप भी इस बात से अंजान थे की क्या कोई शहर भी भारत के इतिहास में कभी एक दिन की राजधानी बनी होगी अगर आपको नहीं पता तो बता दूँ की उत्तरप्रदेश राज्य के इलाहाबाद शहर को ये उपलब्धि प्राप्त है।
इतिहास में एक दिन की राजधानी कब और क्यों बनी (When and why did one day become the capital of history)
1858 में, इलाहाबाद को एक दिन के लिए भारत की राजधानी बनाया गया था क्योंकि ईस्ट इंडिया कंपनी ने शहर में ब्रिटिश राजशाही को राष्ट्र का प्रशासन सौंप दिया था। उस समय, इलाहाबाद उत्तर-पश्चिमी प्रांतों की राजधानी हुआ करती थी। यही वजह है की 1858 के दिन इलाहाबाद को एक दिन के लिए भारत की राजधानी बनाया गया था।
वही दोस्तों वर्तमान में भारत की राजधानी दिल्ली है।