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आज अगर आपसे पूछा जाए कि गैलेक्सी कैसी दिखती है या हमारे सौर मंडल में मौजूद
ग्रह कैसे दिखते है, तो आप आसानी से उनके बारें में बता सकते है, क्योंकि हमारे
पास उनकी कई बेहतरीन तश्वीरें है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह बेहतरीन
तश्वीरें आती कहाँ से है और उन्हें लिया कैसे जाता है. सूर्य पर उठने वालें सोलर
प्लेयर हो या बृहस्पति और शनि के चंद्रमा को करीब से देखना हो, ये सभी हमारी
धरती से कई प्रकाश वर्ष दूर है. ऐसे में आखिर अंतरिक्ष में फोटोग्राफी कैसे ली
जाती है
ग्रह कैसे दिखते है, तो आप आसानी से उनके बारें में बता सकते है, क्योंकि हमारे
पास उनकी कई बेहतरीन तश्वीरें है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह बेहतरीन
तश्वीरें आती कहाँ से है और उन्हें लिया कैसे जाता है. सूर्य पर उठने वालें सोलर
प्लेयर हो या बृहस्पति और शनि के चंद्रमा को करीब से देखना हो, ये सभी हमारी
धरती से कई प्रकाश वर्ष दूर है. ऐसे में आखिर अंतरिक्ष में फोटोग्राफी कैसे ली
जाती है
अंतरिक्ष में फोटोग्राफी के सारे सवाल का जवाब है
एस्ट्रोफोटोग्राफी. इस एस्ट्रोफोटोग्राफी की मदद से अंतरिक्ष में फोटोग्राफी ली
जाती है. इसमें चाँद-तारे से लेकर मिल्की-वे तक शामिल है. वर्ष 1840 में जॉन
विलियम ड्रेपर की ली हुई चाँद की तश्वीर को पहली एस्ट्रोफोटोग्राफी मानी जाती है. बाद
में धीरे-धीरे तकनीक विकास के साथ-साथ आज हम हजारों प्रकश वर्ष दूर मौजूद तारों की
फोटो लेने में भी सक्षम है.
एस्ट्रोफोटोग्राफी. इस एस्ट्रोफोटोग्राफी की मदद से अंतरिक्ष में फोटोग्राफी ली
जाती है. इसमें चाँद-तारे से लेकर मिल्की-वे तक शामिल है. वर्ष 1840 में जॉन
विलियम ड्रेपर की ली हुई चाँद की तश्वीर को पहली एस्ट्रोफोटोग्राफी मानी जाती है. बाद
में धीरे-धीरे तकनीक विकास के साथ-साथ आज हम हजारों प्रकश वर्ष दूर मौजूद तारों की
फोटो लेने में भी सक्षम है.
अंतरिक्ष में फोटो कैसे ली जाती है
हब्बल टेलिस्कोप
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अंतरिक्ष में फोटो लेने के लिए कई तरह के टेक्नोलॉजी और
व्हीकल का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें सबसे जो अहम है उसका नाम हब्बल टेलिस्कोप
है. हब्बल टेलिस्कोप काफी लम्बी दुरी वाली स्थान का साफ़ फोटो ले सकती है. इसे
24 अप्रैल 1990 को धरती की कक्षा में स्थापित किया गया था. तब से ही यह लगातार
गैलेक्सी और नेब्युला की ढ़ेरों तश्वीर धरती पर लगातार भेजती रहती है, जिससे हमें अंतरिक्ष
को समझने में मदद मिलती है.
व्हीकल का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें सबसे जो अहम है उसका नाम हब्बल टेलिस्कोप
है. हब्बल टेलिस्कोप काफी लम्बी दुरी वाली स्थान का साफ़ फोटो ले सकती है. इसे
24 अप्रैल 1990 को धरती की कक्षा में स्थापित किया गया था. तब से ही यह लगातार
गैलेक्सी और नेब्युला की ढ़ेरों तश्वीर धरती पर लगातार भेजती रहती है, जिससे हमें अंतरिक्ष
को समझने में मदद मिलती है.
सोलर ऑब्जरवेटरी
बात जब सूर्य की होती है तो उसका भी हमारे पास बहुत ऐसी
क्लोजउप वाली साफ तश्वीर मौजूद है जो हमें सूर्य के बारें में जानकारी प्रदान
करती है. जिसमें सूर्य की सतह पर उठने वालें तूफानों को भी स्पष्ट रूप से देखा जा
सकता है. यह सभी फोटो सोलर ऑब्जरवेटरी की मदद से ली जाती है. सूर्य हमारी
धरती का सबसे निकटम तारा है. ऐसे में तारों पर होने वाली रिसर्च में सूर्य का सबसे
अहम हिस्सा होता है. सोलर ऑब्जरवेटरी सूर्य पर काफी करीब से अपना नज़र बनाये
हुए रखता है और समय-समय पर उसकी फोटो लेकर हमें भेजती रहती है.
क्लोजउप वाली साफ तश्वीर मौजूद है जो हमें सूर्य के बारें में जानकारी प्रदान
करती है. जिसमें सूर्य की सतह पर उठने वालें तूफानों को भी स्पष्ट रूप से देखा जा
सकता है. यह सभी फोटो सोलर ऑब्जरवेटरी की मदद से ली जाती है. सूर्य हमारी
धरती का सबसे निकटम तारा है. ऐसे में तारों पर होने वाली रिसर्च में सूर्य का सबसे
अहम हिस्सा होता है. सोलर ऑब्जरवेटरी सूर्य पर काफी करीब से अपना नज़र बनाये
हुए रखता है और समय-समय पर उसकी फोटो लेकर हमें भेजती रहती है.
ग्रहों की तस्वीर
हमारें सौरमंडल के लगभग सभी ग्रहों के करीबी तश्वीर हमारें
वैज्ञानिक तकनीक द्वारा ली जा चुकी है. अगर शनि ग्रह की बात करें तो इस ग्रह की
तश्वीर भेजने में कैसिनी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसे 5 साल के मिशन के लिए
तैयार किया गया था. शनि के करीब जाकर इसने उसके रिंग और चंद्रमाओं की बहुत सारी
तस्वीर धरती पर भेजी है, जिससे हमें इस ग्रह के बारें में कई महत्वपूर्ण
जानकारियाँ हमें मिली.
वैज्ञानिक तकनीक द्वारा ली जा चुकी है. अगर शनि ग्रह की बात करें तो इस ग्रह की
तश्वीर भेजने में कैसिनी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसे 5 साल के मिशन के लिए
तैयार किया गया था. शनि के करीब जाकर इसने उसके रिंग और चंद्रमाओं की बहुत सारी
तस्वीर धरती पर भेजी है, जिससे हमें इस ग्रह के बारें में कई महत्वपूर्ण
जानकारियाँ हमें मिली.
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वहीँ अगर हम मंगल ग्रह की बात करें तो वहाँ नासा का रोवर
सफलतापूर्वक लैंड होकर मंगल की कई तश्वीर तथा विडियो भेज चूका है. नासा का
क्युरीयोसिटी रोवर अपने साथ 17 कमरें लेकर मंगल ग्रह पर गया था. वही अगर हम नासा
की माने तो क्युरीयोसिटी वर्ष 2020 मिशन में 23 कमरें लेकर अपने साथ जायेगा, जिससे
वह मंगल ग्रह का पहले से भी अधिक तश्वीर लेकर धरती पर भेज सकें.
सफलतापूर्वक लैंड होकर मंगल की कई तश्वीर तथा विडियो भेज चूका है. नासा का
क्युरीयोसिटी रोवर अपने साथ 17 कमरें लेकर मंगल ग्रह पर गया था. वही अगर हम नासा
की माने तो क्युरीयोसिटी वर्ष 2020 मिशन में 23 कमरें लेकर अपने साथ जायेगा, जिससे
वह मंगल ग्रह का पहले से भी अधिक तश्वीर लेकर धरती पर भेज सकें.
अंतिम शब्द
आपने इस आर्टिकल में यह जाना कि अंतरिक्ष में फोटो कैसे
ली जाती है या उसकी फोटोग्राफी कैसे की जाती है. आप भी अंतरिक्ष के हर रोचक
बात जानने के लिए उत्सुक है तो आपको यह जानकारी बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी. आपके
एक रोचक सवाल अंतरिक्ष में कैसे फोटो ली जाती है उसका जवाब मिल गया होगा.
आशा करता हूँ आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी. आप अपना सुझाव हमें कमेंट के जरिये
दे सकते है जिससे हम इसे और इम्प्रूव कर सकें.
ली जाती है या उसकी फोटोग्राफी कैसे की जाती है. आप भी अंतरिक्ष के हर रोचक
बात जानने के लिए उत्सुक है तो आपको यह जानकारी बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी. आपके
एक रोचक सवाल अंतरिक्ष में कैसे फोटो ली जाती है उसका जवाब मिल गया होगा.
आशा करता हूँ आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी. आप अपना सुझाव हमें कमेंट के जरिये
दे सकते है जिससे हम इसे और इम्प्रूव कर सकें.
आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्त, क्लासमेट
इत्यादि के साथ अवश्य शेयर करें जिससे वह भी जान सकते है कि अंतरिक्ष में
फोटोग्राफी कैसे की जाती है. शुरू से अन्त तक इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप
सभी का तहेदिल से शुक्रिया…
इत्यादि के साथ अवश्य शेयर करें जिससे वह भी जान सकते है कि अंतरिक्ष में
फोटोग्राफी कैसे की जाती है. शुरू से अन्त तक इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप
सभी का तहेदिल से शुक्रिया…
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