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इस समय दुनिया बहुत ही तेजी
से आगे बढ़ रही थी. इंटरनेट बहुत ही तेजी से लोगो का सहायता कर रहा था. इंटरनेट
डाउनलोड की गति वैज्ञानिको ने कई गुना बढाकर कई गीगा बाईट प्रति सेकण्ड कर दी थी.
इंटरनेट की तेज गति के वजह से ज्यादातर घरेलू उपकरण स्वचालित हो गए थे. बड़े-बड़े
अस्पतालों में मरीजो की देखभाल, दवा खाना, इलाज करना, यहाँ तक की ऑपरेशन का कार्य
भी ज्यादातर रोबोट ही संभाल रहे थे. रेलगाड़ियो में सफ़र करना बहुत ही सुरक्षित हो
गया था. जमीं के ऊपर सड़को पर अधिकतर चालक रहित मोटरगाड़ी ही दौड़ती ही दिखती थी.
सुरक्षित वेब भविष्य- २०३० नये वैज्ञानिकों व् विज्ञान के छात्रों को इंटेरनेट से
काफी सहायता मिल रही थी. बस एक क्लिक पर उनके जरूरत की खोज व् शोध तथा वैज्ञानिक
सिद्धान्तों से संबंधित सारी सामग्री बहुत ही तेजी से उपलब्ध हो जाती थी. आम लोग
भी इंटरनेट का प्रयोग करके अपने-अपने कार्यो को आसानी से कर रहे थे व् इंटरनेट के
तेज गति का भरपूर फायदा उठा रहे थे.
से आगे बढ़ रही थी. इंटरनेट बहुत ही तेजी से लोगो का सहायता कर रहा था. इंटरनेट
डाउनलोड की गति वैज्ञानिको ने कई गुना बढाकर कई गीगा बाईट प्रति सेकण्ड कर दी थी.
इंटरनेट की तेज गति के वजह से ज्यादातर घरेलू उपकरण स्वचालित हो गए थे. बड़े-बड़े
अस्पतालों में मरीजो की देखभाल, दवा खाना, इलाज करना, यहाँ तक की ऑपरेशन का कार्य
भी ज्यादातर रोबोट ही संभाल रहे थे. रेलगाड़ियो में सफ़र करना बहुत ही सुरक्षित हो
गया था. जमीं के ऊपर सड़को पर अधिकतर चालक रहित मोटरगाड़ी ही दौड़ती ही दिखती थी.
सुरक्षित वेब भविष्य- २०३० नये वैज्ञानिकों व् विज्ञान के छात्रों को इंटेरनेट से
काफी सहायता मिल रही थी. बस एक क्लिक पर उनके जरूरत की खोज व् शोध तथा वैज्ञानिक
सिद्धान्तों से संबंधित सारी सामग्री बहुत ही तेजी से उपलब्ध हो जाती थी. आम लोग
भी इंटरनेट का प्रयोग करके अपने-अपने कार्यो को आसानी से कर रहे थे व् इंटरनेट के
तेज गति का भरपूर फायदा उठा रहे थे.
लेकिन जैसा की आमतौर पर
होता है कि जिस वस्तु के जितने फायदे होते है, अक्सर उतने नुकसान भी होते है. ठीक
वैसा ही इंटरनेट के मामलों में हो रहा था. लोगो को इंटरनेट के प्रयोग से जितना
फायदा व् आसानी हो रही थी, उतनी ही परेशानी भी होने लगी थी. कंप्यूटरों का कार्य
वायरसों की वजह से हैक होना तथा कंप्यूटर डाटा व् कंप्यूटर पर बने एकाउंट तथा
वेबसाइटो का हैक होना बढता ही जा रहा था. कई देशों की सरकारों इन समस्या का निदान के
लिए योजनाए बना रही थी तथा साईबर विशेषयागों की मदद ले रही थी. भारत सहित कई देशों
के आई. टी. एक्सपर्ट साइबर हमला को लेकर चिंतित थे, तथा वेब हैकिंग रोकने तथा
साइबर सुरक्षा के उपाय खोजने में जुटे थे.
होता है कि जिस वस्तु के जितने फायदे होते है, अक्सर उतने नुकसान भी होते है. ठीक
वैसा ही इंटरनेट के मामलों में हो रहा था. लोगो को इंटरनेट के प्रयोग से जितना
फायदा व् आसानी हो रही थी, उतनी ही परेशानी भी होने लगी थी. कंप्यूटरों का कार्य
वायरसों की वजह से हैक होना तथा कंप्यूटर डाटा व् कंप्यूटर पर बने एकाउंट तथा
वेबसाइटो का हैक होना बढता ही जा रहा था. कई देशों की सरकारों इन समस्या का निदान के
लिए योजनाए बना रही थी तथा साईबर विशेषयागों की मदद ले रही थी. भारत सहित कई देशों
के आई. टी. एक्सपर्ट साइबर हमला को लेकर चिंतित थे, तथा वेब हैकिंग रोकने तथा
साइबर सुरक्षा के उपाय खोजने में जुटे थे.
अभी ठीक तरह से कोई उपाय
मिल नहीं रही थी कि एक बुरी खबर ने विश्व के सारे आई. टी. विशेषयज्ञो को सदमे में
डाल दिया. किसी अज्ञात स्थान के कुछ हैकरों ने कई देशों के रास्तधोव्ज व् भारत के
राष्ट्पति तथा प्रधानमंत्री के कार्यालय पर बने के वेबसाइट, फाइल तथा एकाउंट को
हैक करके कुछ को अपने कब्जे में ले लिया तथा पोर्न तथा अश्लील सामग्री डाल दी और
इसे ठीक करने के बदले काफी रकम की मांग की. विशेषज्ञ सदमे में थे की इतनी सुरक्षित
वेब हैक कैसे हो सकती है? लेकिन अब ये हो चूका था, इसलिए अब इसके बारे में सोचने
की बजाय इसके उपाए करने के बारे में ध्यान देने की जरूरत थी. हैकरों ने रकम ट्रासफर
करने के लिए चौदह दिन का समय दिया तथा चौदह दिन के बाद वेबसाइट व् फाइलो को हमेशा
के लिए लौक करने की धमकी दी. जिन देशों के वेब हैकिंग हुए थे उन सभी के
प्रतिनिधियों ने एक ही बात की प्रबल संभावना जतायी कि हैकरों को धन देने पर वो यही
कार्य बार-बार करेंगे तथा इसी तरह वेबसाइटो को हैक करके किसी भी देश और किसी
ब्यक्ति को बार-बार लुटते रहेंगे. सभी देशों के प्रतिनिधियों ने विचार-विमर्श करने
के बाद फैसला लिय की हैकरों को धन देने की बजाय इसका स्थाई उपाए किया जाए. जिससे
की बार-बार ऐसी समस्या का सामना करना नहीं पड़े.
मिल नहीं रही थी कि एक बुरी खबर ने विश्व के सारे आई. टी. विशेषयज्ञो को सदमे में
डाल दिया. किसी अज्ञात स्थान के कुछ हैकरों ने कई देशों के रास्तधोव्ज व् भारत के
राष्ट्पति तथा प्रधानमंत्री के कार्यालय पर बने के वेबसाइट, फाइल तथा एकाउंट को
हैक करके कुछ को अपने कब्जे में ले लिया तथा पोर्न तथा अश्लील सामग्री डाल दी और
इसे ठीक करने के बदले काफी रकम की मांग की. विशेषज्ञ सदमे में थे की इतनी सुरक्षित
वेब हैक कैसे हो सकती है? लेकिन अब ये हो चूका था, इसलिए अब इसके बारे में सोचने
की बजाय इसके उपाए करने के बारे में ध्यान देने की जरूरत थी. हैकरों ने रकम ट्रासफर
करने के लिए चौदह दिन का समय दिया तथा चौदह दिन के बाद वेबसाइट व् फाइलो को हमेशा
के लिए लौक करने की धमकी दी. जिन देशों के वेब हैकिंग हुए थे उन सभी के
प्रतिनिधियों ने एक ही बात की प्रबल संभावना जतायी कि हैकरों को धन देने पर वो यही
कार्य बार-बार करेंगे तथा इसी तरह वेबसाइटो को हैक करके किसी भी देश और किसी
ब्यक्ति को बार-बार लुटते रहेंगे. सभी देशों के प्रतिनिधियों ने विचार-विमर्श करने
के बाद फैसला लिय की हैकरों को धन देने की बजाय इसका स्थाई उपाए किया जाए. जिससे
की बार-बार ऐसी समस्या का सामना करना नहीं पड़े.
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सभी इंटरनेट कम्पनियों ने
इसका उपाए करने में अपने आप को लाचार पाया, इस वजह से सभी इंटरनेट कम्पनी ने इस
समस्या के सामने अपने हाथ खड़े कर दिए. इन
सभी बातो को ध्यान में रखते हुए सभी मुख्य प्रतिनिधियों ने आई. टी.
विशेषज्ञ से मिलकर एंटी हैकिंग टीम गठित की, जिसमे सभी विकसित देश तथा कुछ
विकासशील सहित भारत के भी प्रमुख तीन आई.टी. विशेषज्ञों ने भाग लिया तथा एंटी
हैकिंग पर कार्य करने लगे. हैक हुए वेबसाइट का निरक्षण कर विशेषज्ञ ने बताया की
हैकरों ने अक खतरनाक वायरस के जरिये इन सभी वेबसाइट को हैक किया है.
मुख्य प्रतिनिधियों
के वायरस के बारे में पूछने पर विशेषज्ञ ने संछिप्त में बताया की वायरस पी.एच.पी अथवा
सी. प्लस-प्लस पर बनाये जाने वाले ऐसे प्रोग्राम होते है जो कंप्यूटर या लैपटॉप के
कार्य करने की गति को बहुत ही धीमा कर देते है या बिलकुल ही बंद कर देते है.प्रोग्राम
वायरस प्रोग्राम को प्रभावित करते है. तथा बूट वायरस बूट रिकॉड, पार्टीशन और एलोकेसन
टेबल को भी प्रभावित करते है. वायरस के फैलने का कई कारण है जिसमे वायरस से संक्रमित
फ्लापी डिस्क, सीडी, पेन ड्राइव, गेम, मेल इंटरनेट फाइल आदि प्रमुख है. वायरस को रोकने
वाले एंटी वायरस भी ज्यादातर सी प्लस-प्लस पर बनते है. इन हैकरों ने एक ऐसा वायरस बनाया
था जिससे किसी के भी डाटा को अपने मन मुताबिक कही भी रिमूव कर सकते थे या उसमे कुछ
भी ऐड कर सकते थे.
इसका उपाए करने में अपने आप को लाचार पाया, इस वजह से सभी इंटरनेट कम्पनी ने इस
समस्या के सामने अपने हाथ खड़े कर दिए. इन
सभी बातो को ध्यान में रखते हुए सभी मुख्य प्रतिनिधियों ने आई. टी.
विशेषज्ञ से मिलकर एंटी हैकिंग टीम गठित की, जिसमे सभी विकसित देश तथा कुछ
विकासशील सहित भारत के भी प्रमुख तीन आई.टी. विशेषज्ञों ने भाग लिया तथा एंटी
हैकिंग पर कार्य करने लगे. हैक हुए वेबसाइट का निरक्षण कर विशेषज्ञ ने बताया की
हैकरों ने अक खतरनाक वायरस के जरिये इन सभी वेबसाइट को हैक किया है.
मुख्य प्रतिनिधियों
के वायरस के बारे में पूछने पर विशेषज्ञ ने संछिप्त में बताया की वायरस पी.एच.पी अथवा
सी. प्लस-प्लस पर बनाये जाने वाले ऐसे प्रोग्राम होते है जो कंप्यूटर या लैपटॉप के
कार्य करने की गति को बहुत ही धीमा कर देते है या बिलकुल ही बंद कर देते है.प्रोग्राम
वायरस प्रोग्राम को प्रभावित करते है. तथा बूट वायरस बूट रिकॉड, पार्टीशन और एलोकेसन
टेबल को भी प्रभावित करते है. वायरस के फैलने का कई कारण है जिसमे वायरस से संक्रमित
फ्लापी डिस्क, सीडी, पेन ड्राइव, गेम, मेल इंटरनेट फाइल आदि प्रमुख है. वायरस को रोकने
वाले एंटी वायरस भी ज्यादातर सी प्लस-प्लस पर बनते है. इन हैकरों ने एक ऐसा वायरस बनाया
था जिससे किसी के भी डाटा को अपने मन मुताबिक कही भी रिमूव कर सकते थे या उसमे कुछ
भी ऐड कर सकते थे.
ईसी को देखते हुए विशेषज्ञ ने
एक ऐसा सॉफ्टवेयर डाटा रिकॉड बनाकर तीन दी में हैक हुए सभी डाटा को वापस पाकर समस्या
का अंत किया. लेकिन वो ऐसी समस्या को हमेशा के लिए ख़तम करना चाहते थे. इसलिए विशेषज्ञ
की टीम ने सभी प्रमुख प्रतिनिधियों के सामने डानेप नाम के सॉफ्टवेयर समूह का नमूना
रखा.
प्रतिनिधियों के डानेप के बारे में अनभिज्ञता जताने पर बताया गया कि D.A.N.E.P. विशेषज्ञ के माध्यम से बनाया गया मॉडल डानेप को सर्वसम्मति से मंजूरी मिल गई. डानेप
में चार सोफ्टवेयर एक दुसरे से जुड़े होते है एक किसी भी प्रकार का अफवाह या भरकाऊ सामग्री
को कुछ गुप्त चिन्हों से पहचान कर लेता है तथा दूसरा प्रतिबंधित पोर्न सामग्री को पाकर
लेगा, तथा तीसरा किसी भी प्रकार के वायरस तथा हैक करने वाली गुप्त चिन्हों से पहचान
कसर लेगा और चौथा इन तीनो सॉफ्टवेयर के माध्यम से पकड़ा गया सामग्री को नष्ट कर देगा.
ग्यारह दिन के कठिन परिश्रम के बाद साइवर विशेषज्ञ ने डानेप सॉफ्टवेयर को तैयार कर
लिया था. तथा सभी इंटरनेट कंपनी के सहयोग से इस प्रकार स्थापित किया गया कि कोई भी
इंटरनेट पर डाले जाने वाले सामग्री प्रसारण से पहले अपने आप ही डानेप के पास चली जाती
है, कुछ गलत या प्रतिबंधित होने पर डानेप उसे नष्ट कर देता है तथा सही होने पर प्रयास
होने देता है.
एक ऐसा सॉफ्टवेयर डाटा रिकॉड बनाकर तीन दी में हैक हुए सभी डाटा को वापस पाकर समस्या
का अंत किया. लेकिन वो ऐसी समस्या को हमेशा के लिए ख़तम करना चाहते थे. इसलिए विशेषज्ञ
की टीम ने सभी प्रमुख प्रतिनिधियों के सामने डानेप नाम के सॉफ्टवेयर समूह का नमूना
रखा.
प्रतिनिधियों के डानेप के बारे में अनभिज्ञता जताने पर बताया गया कि D.A.N.E.P. विशेषज्ञ के माध्यम से बनाया गया मॉडल डानेप को सर्वसम्मति से मंजूरी मिल गई. डानेप
में चार सोफ्टवेयर एक दुसरे से जुड़े होते है एक किसी भी प्रकार का अफवाह या भरकाऊ सामग्री
को कुछ गुप्त चिन्हों से पहचान कर लेता है तथा दूसरा प्रतिबंधित पोर्न सामग्री को पाकर
लेगा, तथा तीसरा किसी भी प्रकार के वायरस तथा हैक करने वाली गुप्त चिन्हों से पहचान
कसर लेगा और चौथा इन तीनो सॉफ्टवेयर के माध्यम से पकड़ा गया सामग्री को नष्ट कर देगा.
ग्यारह दिन के कठिन परिश्रम के बाद साइवर विशेषज्ञ ने डानेप सॉफ्टवेयर को तैयार कर
लिया था. तथा सभी इंटरनेट कंपनी के सहयोग से इस प्रकार स्थापित किया गया कि कोई भी
इंटरनेट पर डाले जाने वाले सामग्री प्रसारण से पहले अपने आप ही डानेप के पास चली जाती
है, कुछ गलत या प्रतिबंधित होने पर डानेप उसे नष्ट कर देता है तथा सही होने पर प्रयास
होने देता है.
अगले दिन विश्व के लगभग सभी
देशों में समाचार पत्रों में सुर्खियों में
लिखा था
देशों में समाचार पत्रों में सुर्खियों में
लिखा था
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अब हमारी वेब सुरक्षित है